ये बात सत्य है की पूजा पाठ एवं कर्मकांड मेरी आजीविका है ।परंतु ये बात परम सत्य हे की मेरी आजीविका ही मुझे आध्यात्मिकता कीओर प्रेरित करती है। मेरे यजमान की उन्नति एवं प्रगति ही मुझे बलवान् बनाती है। पूजा के समापन में पूजाकर्ता का संतुष्ट मुख मुझेपरमानंदसे भर देता है। और क्या चाहिए आपकी उन्नति ,प्रगति एवं प्रसन्नता में निमित्त बनाना ही परमात्मा की परमकृपा